...

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इश्क
इन दीवानों से अब इश्क होवे नहीं
कह दो तदबीर से कहीं ये खोवें नहीं ।

हुस्न मिलता है बाजार में सैकड़ों,
बस दिल का बाजार क्यों कहीं होवे नहीं ।
©®@Devideep3612
क्या कहें गुनाहगार है कौन यहां ??
अपना अपना गिरेहबान कोई देखें नही ।

है आसां किसी पे उंगली यूं ही उठाना
जिंदगी का फ़लसफ़ा कोई सुनता नहीं ।
©®@Devideep3612
है आसान कहना इश्क है बस तुम्ही से,
प्रेम, प्यार अब किसी के भी बस का नहीं ।

तु न खोना कहें दिल जमाने से मुझे,
उसी भीड़ में खोना तेरे भी बस का नहीं ।
©®@Devideep3612
"देवीदिप" चाहता है बस वो सुकून, जो
इश्की बेजार दुनियां में कहीं है ही नही ।

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तदबीर = युक्ति, उपाय ।
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© ©®Devideep3612