...

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ग़ज़ल 1: सबको यकीं है वो मुझसे प्यार नहीं करेगी
सबको यकीं है वो मुझसे प्यार नहीं करेगी
अपने दिल का मुझे दिलदार नहीं करेगी

मैं चूम लूं उसके लबों को उससे पूछे बगैर
मुझे यकीं है वो मुझे इनकार नहीं करेगी

ये क्या उसकी नज़रों में मैं झलक रहा था
मुझे डर था वो मुझसे नज़रें चार नहीं करेगी

रूठी हुई ख़ुद मुझे मनाने जब भी आती है
कहती है के बात अबकी बार नहीं करेगी

कुछ समझाना उसे अब तो फिजूल है मेरा
उसने ठानी हुई है मेरा ऐतबार नहीं करेगी

मैंने जिसको राज़ बना रखा है अपना, वही
कहती है मुझे अपना राज़दार नहीं करेगी

मुझे ही पहल अब करनी पड़ेगी शायद यारों
वो इतनी शर्मीली है के इज़हार नहीं करेगी

मेरा माथा चूम कर मुझे अपना बता गई वो
सब तो कहते थे वो कभी इकरार नही करेगी

वो बिना कुछ कहे ही मुझे छोड़ कर चली गई
वो सच ही कहती थी कि तकरार नहीं करेगी।।
© Pooja Gaur