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तु है मेरी कविता
#विश्व_कविता_दिवस
हर भाव में तुम हो तुम्हीं हो मेरी कविता ।
दिन रात जपता रहता हूँ तु है मेरी कविता ॥
जब से देखा है तुमको चैन कहाँ नींद कहाँ ।
रूप तेरा रूप नहीं तेरे जैसा रूप और कहाँ ॥
नादानी हो जाती है तेरे रूप यौवन को देखने से ।
तुम भाव हो दिल की कविता निकलती है मन से ॥
सांसों की डोर तुमसे हीं जुड़ी है सच कहता हूँ ।
कवि के रूप में मैं भी तुम्हारे दिल में रहता हूँ ॥
कभी मत जाना छोड़ हमें रूठ जाएगी मेरी कविता ।
क्योंकि तुमसे हीं मेरी कविता है तु है मेरी कविता ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी
हर भाव में तुम हो तुम्हीं हो मेरी कविता ।
दिन रात जपता रहता हूँ तु है मेरी कविता ॥
जब से देखा है तुमको चैन कहाँ नींद कहाँ ।
रूप तेरा रूप नहीं तेरे जैसा रूप और कहाँ ॥
नादानी हो जाती है तेरे रूप यौवन को देखने से ।
तुम भाव हो दिल की कविता निकलती है मन से ॥
सांसों की डोर तुमसे हीं जुड़ी है सच कहता हूँ ।
कवि के रूप में मैं भी तुम्हारे दिल में रहता हूँ ॥
कभी मत जाना छोड़ हमें रूठ जाएगी मेरी कविता ।
क्योंकि तुमसे हीं मेरी कविता है तु है मेरी कविता ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी
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