...

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प्यार ढूंढ लेता हूं !
तुम्हारी दिखावटी नफरत में भी मैं प्यार ढूंढ लेता हूं
सिद्दत से तुम भी , सिद्दत से मैं भी
तुम्हारी दूर से देख कर भी पास आके से नजरे फेर लेना
तेरी तिरछी सी नज़र में ऐतवार ढूंढ लेता हूं
तुम्हारी दिखावटी नफरत में भी में प्यार ढूंढ लेता हूं ।

नही आती मुझे तुम्हारी भाषा
तुम्हे भी आती है क्या ? समझ मेरी भाषा
खैर छोड़ो ! इतना बताओ तुम मुझे, क्या होती भी है ? प्रेम की भाषा
जो आंखो को पढ़ लें , जो चुप्पियों को समझ ले
तुम्हारी झुकी निगाहों में पनाह ढूंढ लेता हूं
तुम्हारी दिखावटी नफरत में भी में प्यार ढूंढ लेता हूं ।

लिखने को है बहुत कुछ , पर दिल से जी भर के , तुम्हें हीं लिखना चाहूं
स्याह से तुम्हें वो सारी बातें भी बता दूं , जो तुमसे रूबरू होकर करना चाहूं
सपने में तुम , असल जिंदगी में भी हो तुम
अपने सारे मंजिलों में तुम सा एक किरदार ढूंढ लेता हूं
तुम्हारी दिखावटी नफरत में भी में प्यार ढूंढ लेता हूं ।

लफ्ज़ कभी न तुम बोल पाए , दो लफ्ज़ भी कभी हम न बता सके
तुम्हारी सुबह से शाम तक सफर में मेरे बार बार यूं टकराना
कुछ तो है हमारे दरमियां यहीं सोच कर मुस्कुराना
तुम्हारी सांवली सी सूरत में, तुम्हारी बालों को रूखसत में
एक ख़्वाब बुन लेता हूं
तुम्हारी दिखावटी नफ़रत में भी प्यार ढूंढ लेता हूं ।

© Ritesh Tiwari

जब दो संस्कृति में पले बढ़े एक दूसरे को पसंद करने लगे और दोनो की मातृभाषा अलग हो । तो उनके बीच की जद्दोजहद आसान नही होता ,,,
उम्मीद है आप सब को अच्छा लगेगा
#riteshtiwari #love #WritcoQuote