...

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अफसोस मत कर .......
शम्मा अगर जल रही है तो जलने दो।
आग अगर उठ रही है तो उठने दो।
उससे उसके कर्मों का सबब तो मिलना ही है।
के अगर आज तड़प रही है तो तड़पने दो।
आज रो रही है तो रोने दो ।
तुम्हे भी तो इतना रुलाया है।
आज तरस रही है तेरे लिए तो तरसने दो।
तुम्हे भी तो कितना तरसाया है।
अफसोस मत करो उसके चोड़के चले जाने का।
जिन क़दमों से गई थी उसी रास्ते पर वापस आएगी।
अफसोस मत करो, तुमको हस के चोडके गई थी ,तुम्हारे पास रोके वापस आएगी।
आज अगर तुम्हे याद कर रही है तो करने दो।
आज अगर तुम्हे पूछ रही है तो पूछने दो।
मगर पलट के मत जाना अभी,
अगर तुम्हारी यादों में तरस रही है तो तरसने दो।
एक दिन इन्हीं यादों में कीची चली आएगी।

- Areeba.F