...

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मेरे प्रियवर
बस इतनी दया करना, हम पर गिरिधर
हर पल ध्यान आपका रहे हमपर
जब उलझ जाएं हम मोह माया से
प्रेम होने लगे इस काया से
होकर प्रविष्ट ह्रदय में हमको संभाल लेना
सारे जंजाल से हमें निकाल लेना
तनिक भी विलंब ना करना मेरे प्रियवर
बस इतनी दया करना,हम पर गिरधर ।
तुम ईश हो मेरे जगदीश हो मेरे
तुम गुरु हो मेरे और मित्र भी मेरे
तुम्हारे शिवा भरोसा नहीं किसी पर
इतनी दया करना ,हमपर गिरधर।
छल बल के साथ माया जब घेरने लगे
हमसे हमारी आत्मा मुंह फेरने लगे
हमको बचाने आना उस पल हमारे स्वामी
बस देखते ना रहना हमारे अन्तर्यामी
हमें छु ना सके कभी कपट का समन्दर
इतनी दया करना हमपर गिरधर।
कभी भी झंझटों गर भुल जाएं आपको
संभव हैं कभी आमन्त्रित कर लें संताप को
दुर बैठे मुस्कुराते ,ये देखते ना रहना
झट हाथ थामकर हमें दुर लेकर चलना
तुम देखना हमेशा हम फंसे ना कहीं पर
सिर्फ इतनी दया करना हम पर मेरे प्रियवर
मेरे गिरिधर मेरे गिरिधर मेरे...................।।