...

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जगत स्वरूपमयी....
आइने की आड़ मे, जिंदगी की तलाश‌ में
हवा के हर रूझान में;
उन ख्वाहिशों की हकीकत मे
तेरा ज़िक्र हो रहा है।

हर अनकहे साथ मे, हर जज़्बाती बात मे
तीव्र गति की भांति राह प्रदशन केंद्र;
जिज्ञासा भरी विनम्र मृगनैनी में
अचल चंचल बंदिनी में;
नव दिवस की भांति सब मंगल हो रहा है
विभिन्न रूपों में तेरा प्रदर्शन हो रहा है
कण कण में धरती मां तेरा जिक्र हो रहा है

हर एक प्रयाग में, सुशोभित मस्तिष्क विराज में
कर्मठ निश्चय स्वभाव में, तेरा ही वरदान है
हर एक बलिदान पर नाम है तेरा
हे जगत जननी, तू ही हम सबकी भगवान है...


© Urvashi