...

17 views

रंग बदलना
अपनो को अपने लिबास में बदलते देखा है..
खुद को खुद में दफ़न होते देखा है..
खुद के वजूद की तासीर को मिटते देखा है..
हर कदम पर खुद को बदलते देखा है..
अपने एक एक लफ़्ज पर दुनिया को आजमाते देखा है..
तो बातों ही बातों में लोगों को जख़्म होते देखा है..
नेकी के इरादों में गलत बोल बोलते देखा है..
हर कदम पर खुद को डग मगाते देखा है..
अंतर्मन के भावों को अंतर्मन में ही डांवाडोल देखा है..
गुजरती हुई जिंदगी का हर एक लम्हा बस ख़ुद को बेवस पाया है..
न जाने क्यों, गुजरते दौर में खुद को ऐसा अकेला पाया है..
कि अपने आत्म विश्वास का पायदान कमजोर पाया है..
और
हर मोड़ पर ख़ुद को तन्हा पाया है..
मंजिल के तय रास्तों में न जाने क्यों खुद को डगमगाते हुए पाया है..
मतलबी दुनिया में बेमतलब का कोई पायदान नहीं पाया है..
अपने तन्हा सफ़र में अपने खुदा का हम साया पाया है..
अपनी जिंदगी की नेमत, बरकत सब उस नियति, रब के हवाले सब किया है..
ये जिंदगी का दस्तूर अब जैसा भी है..
सब उस रब की दुआओं में शामिल है..
सब उस रब की हवालात में जिंदगी बसर करता परिंदा है..
by क्षमा सैनी 👑😎
© @kshamasaini

Related Stories