ज़मीं हुई घड़ी
#जमीहुईघड़ी
दीवार पर टंगी, वो घड़ी थमी,
वक़्त की धारा में कहीं जमी।
सुइयाँ उसकी अब चलती नहीं,
मानो किसी पल में वो पलटी नहीं।
वक़्त कभी उसमें कैद था जो,
अब बस एक कहानी बन बैठा वो।
धड़कनें उसकी अब ख़ामोश हैं,
बीते लम्हे उसमें सदा मौन...
दीवार पर टंगी, वो घड़ी थमी,
वक़्त की धारा में कहीं जमी।
सुइयाँ उसकी अब चलती नहीं,
मानो किसी पल में वो पलटी नहीं।
वक़्त कभी उसमें कैद था जो,
अब बस एक कहानी बन बैठा वो।
धड़कनें उसकी अब ख़ामोश हैं,
बीते लम्हे उसमें सदा मौन...