तन्हा सफर
तन्हा सफर
<<<<<<<<<
बैठ कर तन्हाई में कर रही थी हिसाब तेरे वादों का,
याद आते रहे खुशनुमा लम्हा और रंगीन रातें,
पर ख्वाब आँखों में सिमटते चले गए,
साथ रह कर भी जब हम रहे तन्हा बादलों में अकेले देख,
चाँदनी को हम भी सोचते चले गए,
जिंदगी जब यूँ ही गुजरनी थी तन्हा,
हम सफर बन तुम मिले क्यों?? ¿??
कभी खुशी में, कभी गम में ये
आँखे भी...
<<<<<<<<<
बैठ कर तन्हाई में कर रही थी हिसाब तेरे वादों का,
याद आते रहे खुशनुमा लम्हा और रंगीन रातें,
पर ख्वाब आँखों में सिमटते चले गए,
साथ रह कर भी जब हम रहे तन्हा बादलों में अकेले देख,
चाँदनी को हम भी सोचते चले गए,
जिंदगी जब यूँ ही गुजरनी थी तन्हा,
हम सफर बन तुम मिले क्यों?? ¿??
कभी खुशी में, कभी गम में ये
आँखे भी...