...

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इश्क़ मेरा
मेरे ह्रदय की पूर्ण शास्वत चेतना हो तुम
अनमोल उपहार, 'प्रेम' परिणीता हो तुम
मान, अभिमान, माटी के पुतले मेें प्राण
कतरा कतरा लहू करता रहें तुम्हें प्रणाम

जुनून नव योवन का, माधुर्य 'प्रेम' सुमन
काजल से सजे नैना मोहे है यह मेरा मन
जग ज़ाहिर करूँ तो जिया सबका जले
सुंदरता मेें 'सादगी' को कौन? पीछे करें

साँस तुम विश्वाश तुम, मेरी हर आस तुम
गीत तुम, ग़ज़ल तुम, कविता 'प्राण' तुम
मंदिर मैं ख़ुदा तू, इबादत मैं, हर दुआ तुम
गुलाब सा महका, मेरा रूहानी 'इश्क़' तुम
© कृष्णा'प्रेम'