इश्क़ ए बवाल
जी भर गया है इस इश्क़ ए बवाल से ,
क्यों न कुछ काम- धाम किया जाए।
ये क्या कि रातों दिन उसके नाम की रटन,
क्यों न अपने नाम का मक़ाम किया जाए।
जब...
क्यों न कुछ काम- धाम किया जाए।
ये क्या कि रातों दिन उसके नाम की रटन,
क्यों न अपने नाम का मक़ाम किया जाए।
जब...