...

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लक्ष्मण
किसी को राम चाहिए
तो किसी को कृष्ण चाहिए
पर कोई पूछे मुझसे
तो मुझे रामानुज चाहिए।

जिसकी नजरें नुपुर तक सीमित हो
जो माँ जैसा सम्मान भी दे
जब भ्राता पर संकट आए
तब लक्ष्मण रेखा खींच वो दे।

जिसके रक्त में थोड़ा उबाल हो
जो गलत को कभी न सहे
जो सुरपनाखा की नाक काटते
हुए तनिक भी ना डरे।

जब त्याग दे अपना ही कोई
तब वन तक तो पहुचाय वो
ना सोचे गलती किसकी थी
बस अपना कर्तव्य निभाए वो।


© Amitra