...

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लो भूल गए
लो अब भूल गए तुम्हें अब,
फिर किस बात से ख़फा हो?
सिल तो लिया था जख्मों को हमने,
और जुबां से उफ़ तक ना की,
फिर भी कहते हो के तुम बेवफा हो,
सुनो ज़रा ध्यान से इक बात कहता हुं,
इश्क में मक्कारी नहीं चलती,
बेश़क जान ज़ाए तो ज़ाए,
धोखेबाजी नहीं चलती।