अनजाना सा
अनजाना सा ना देखा कभी जिसे ,
कब अपनी बातों से रूह में उतर गया ।
आस ना थी जीने की जब मुझे ,
कब अपनी बातों से जीना सीखा गया ।
अंधेरे को पहचान बना ली थी मैने ,
कब...
कब अपनी बातों से रूह में उतर गया ।
आस ना थी जीने की जब मुझे ,
कब अपनी बातों से जीना सीखा गया ।
अंधेरे को पहचान बना ली थी मैने ,
कब...