अनजाना सा
अनजाना सा ना देखा कभी जिसे ,
कब अपनी बातों से रूह में उतर गया ।
आस ना थी जीने की जब मुझे ,
कब अपनी बातों से जीना सीखा गया ।
अंधेरे को पहचान बना ली थी मैने ,
कब आकर रोशन मेरा जीवन कर गया ।
डगमगा रहे थे कदम जिंदगी में ,
कब थामकर मुझे चलना सीखा गया ।
बातों में उसकी सच्चाई दिखी हमेशा ,
कब खुशियां चारो तरफ फैला गया ।
सुहानी हवा सा बन कर आया जीवन में ,
कब ना जाने खुशबू बन कर मेरी सांसों में समा गया।
© Pearl
कब अपनी बातों से रूह में उतर गया ।
आस ना थी जीने की जब मुझे ,
कब अपनी बातों से जीना सीखा गया ।
अंधेरे को पहचान बना ली थी मैने ,
कब आकर रोशन मेरा जीवन कर गया ।
डगमगा रहे थे कदम जिंदगी में ,
कब थामकर मुझे चलना सीखा गया ।
बातों में उसकी सच्चाई दिखी हमेशा ,
कब खुशियां चारो तरफ फैला गया ।
सुहानी हवा सा बन कर आया जीवन में ,
कब ना जाने खुशबू बन कर मेरी सांसों में समा गया।
© Pearl