...

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तीन अजनबी
#साझासपने
मैं स्टेशन पे बैठा सोच रहा था
कि हारा हुआ नसीब मुझको
कहाँ ले जायेगा, कोशिश तो कर रहा हूँ
मेरा वक़्त कब आयेगा |
बेरोजगारी का दंस झेल ऊब गया हूँ मैं
भाग्य मेरा कब उजाला ले के आयेगा,
डिग्रीयों से मेरी फाइलें भर चुकी अब तो
नौकरी तलाशने को किस दर दर भटकाऐगा |
ट्रैन की सीटी बजी और तंद्रा मेरी भंग हुई,
दौर कर आखिरकार ट्रैन से बाजी जीत ली,
चलो जीता कही यह जान कर थोड़ी खुशी हुई|
पीछे से दो लड़के ट्रैन पकड़ने को थे दौड़ रहे
हाथ...