नक़ाब... चेहरों के पीछे के चेहरे.
नक़ाब... चेहरों के पीछे के चेहरे.
मत पूछो मेरे दिल की किताब के वो राज़
डरता हूं की कहीं बेनकाब ना हो जाए वो सब आज
दफना के आया था जिन्हें यादों की मिट्टी में कहीं
उभर ना जाए वो सारे मिले हुए ज़ख्म आज
नही लगते मुझे बेवफ़ा, यही तो है वो कुछ बाकी हिसाब
अंजाने ही सही, मैने पाए हैं जाने कितने...
मत पूछो मेरे दिल की किताब के वो राज़
डरता हूं की कहीं बेनकाब ना हो जाए वो सब आज
दफना के आया था जिन्हें यादों की मिट्टी में कहीं
उभर ना जाए वो सारे मिले हुए ज़ख्म आज
नही लगते मुझे बेवफ़ा, यही तो है वो कुछ बाकी हिसाब
अंजाने ही सही, मैने पाए हैं जाने कितने...