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क्या खोया क्या पाया!
क्या खोया क्या पाया
हमने सोचा चलो जरा करे लेखाजोखा!

जब हम पुरानी मन मसोस ने वाली यादों से डटकर लड़े तब उन्हें खोया|
नए विचार और प्रेरणा से आगे जब हम बढ़े तो सुनहरी जीवन की यादों को पाया |

दिशाहीन अज्ञानता से हमने उन्नती का पथ खोया|
अंधकारमय जीवन मे ज्ञान के किरण आते ही हमने प्रगती पथ को पाया |

हमने सब से आस्था और प्रेम की आसक्ति रखी तो सुख चैन खोया |
सब से किनारा कर जब हमने अपने अंतर्मन मे झांका तब हमने सुकून, शांति को पाया|

हमने जब क्रोध, मोह, माया, मद, मत्सर खोया,
तब हमने मानवतावादी दृष्टिकोन पाया!


© Infinite Optimism