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वो लड़की
वो जमाने से डरती है,
वो समाज की वजह से मरती है,
वो सबसे लड़ कर आगे बढ़ भी जाए,
तो घटिया सोच के आगे सूली पर चढ़ती है,
वो मासूम सी बच्ची,
वो भोली सी लड़की,
वो घर की गृहणी,
वो कामकाजी महिला,
कोई भी तो नही बचती है,
अपनों का साथ न पाकर भी,
अपनों पर जान न्योछावर वो करती है,
वो जमाने से डरती है,
वो समाज की वजह से मरती है।
© dinesh@M
वो समाज की वजह से मरती है,
वो सबसे लड़ कर आगे बढ़ भी जाए,
तो घटिया सोच के आगे सूली पर चढ़ती है,
वो मासूम सी बच्ची,
वो भोली सी लड़की,
वो घर की गृहणी,
वो कामकाजी महिला,
कोई भी तो नही बचती है,
अपनों का साथ न पाकर भी,
अपनों पर जान न्योछावर वो करती है,
वो जमाने से डरती है,
वो समाज की वजह से मरती है।
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