तुम एक सखी सी
तुम एक परी सी दिखती हो,
इस सारे जहां में बस तुम दिखती हो ,
जिस से सारे सुख दुःख कह सकूं मैं,
तुम वो एक सखी सी दिखती हो ।
वक़्त नहीं होता साथ में बैठने का ,
फिर भी न जाने साथ क्यों दिखती हो ,
वो व्यस्त कार्यक्रम, वो व्यक्तिगत व्यस्तता,
फिर भी थकान मिट सी जाती है जो तुम दिखती हो...