...

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रब की कायनात
कितना हसीन कुदरत का यह नजारा है
सर्दियों का मौसम भी कितना प्यारा है
ऐसा लगता है जैसे रुई की चादर बिछी हो जमीन पर
गिरती है जब बर्फ इस जमीन पर।
रब ने भी क्या अजीब कुदरत बनाई है।
दिलकश हसीन सारी खुदाई है
नीला आसमान बनाया उस पर सितारे बनाएं
जमीन पर भी रंग-बिरंगे फूल खिलाए।
गहरा समंदर बनाया और उसमें भी दुनिया बसाई
न जाने क्या छुपा है समंदर में अंदर दुनिया जान ना पाई
आसमान को छूते पहाड़ बनाए
पेड़ पौधे और घास और झाड़ बनाएं
हवा के झोंके मन को गुदगुदा ते हैं
रंग बिरंगे पंछी आसमान में उड़ान भरते हैं
दिन और रात की रोशनी के लिए सूरज और चांद बनाए
इस दुनिया में रहने के लिए इतने सारे इंसान बनाए।
इंसानों को हर चीज दिखलाइए
कश्मीर की सूरत दुनिया में जन्नत बनाई
ऊंचे ऊंचे झरने और आसमान से बरसती बारिश
रब ने की है हम पर नवाजिश
सर्दी गर्मी मौसम संतुलन बनाया
हर चीज कैसे होगी हमको सिखाया
सोचो अगर जरा सूरज निकलना छोड़ दे
अगर कभी रात ना हो
कैसे जिएंगे हम सब
सबकी इतनी हसीन उस रब की कायनात ना हो
आओ अब हम सब करें उसका शुक्र अदा
कितने बिन मांगे हैं सब कुछ दिया।