ओ कान्हा...
ओ कान्हा, तू ही जाने मेरा दर्द,
क्यों बाहर की हँसी, क्यों भीतर का ब्याहण है छुपा,
दिल में तेरे बिना है ये दुःख का समुंदर।
तू है मेरा आदर्श, तू ही मेरा जीवन,
तेरी कृपा के बिना, मेरा कुछ नहीं माया।
जब तू हो साथ, तो हर कठिनाई है आसान,
तू मेरी आत्मा का प्यारा...
क्यों बाहर की हँसी, क्यों भीतर का ब्याहण है छुपा,
दिल में तेरे बिना है ये दुःख का समुंदर।
तू है मेरा आदर्श, तू ही मेरा जीवन,
तेरी कृपा के बिना, मेरा कुछ नहीं माया।
जब तू हो साथ, तो हर कठिनाई है आसान,
तू मेरी आत्मा का प्यारा...