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आपका शुक्रिया,माँ
याद है,माँ
आपको वो सुनेहरा दिन,
जिस दिन आपकी गोद में,
मैं आया था।
उस दिन मैं नाराज था आपसे,
भला! बेटे के रोने पर,
कोई माँ हँसती है,क्या।
आपको मैंने अपने पीछे बहुत दौराया है।
तब भी आपने मेरे पीछे आ आकर,
मुझे पूरी कटोरी का खाना खिलाया है।
मैं नहीं खाऊँगा! मैं नहीं खाऊँगा!
तब भी आपने
एक कवर चावल चिड़िया का,
एक कवर शेर का,
एक कवर भईया का,
एक कवर बहन का,
ऐसा करके आपने ,
मुझे पूरा खाना खिलाया है।
याद है! आपको
जब आप और मैं लुका चुप्पी खेलते,
मैं चाहे लाख कोशिश कर लूँ,
आप मुझे खोज लेती।
पर मुझे खोजना होता अगर आपको,
तब मैं झूठ मूठ रोते हुए बोलता,
"माँ! मुझे चोट लग गई"।
आप कही से भी दौरी चली आती।
और बोलती,
"क्या हुआ,मेरे लाल को"।
माँ! उन दिनों की याद आज भी आती है।
(मुझे आपसे प्यार है,माँ)☺️
© RK_become your real hero
आपको वो सुनेहरा दिन,
जिस दिन आपकी गोद में,
मैं आया था।
उस दिन मैं नाराज था आपसे,
भला! बेटे के रोने पर,
कोई माँ हँसती है,क्या।
आपको मैंने अपने पीछे बहुत दौराया है।
तब भी आपने मेरे पीछे आ आकर,
मुझे पूरी कटोरी का खाना खिलाया है।
मैं नहीं खाऊँगा! मैं नहीं खाऊँगा!
तब भी आपने
एक कवर चावल चिड़िया का,
एक कवर शेर का,
एक कवर भईया का,
एक कवर बहन का,
ऐसा करके आपने ,
मुझे पूरा खाना खिलाया है।
याद है! आपको
जब आप और मैं लुका चुप्पी खेलते,
मैं चाहे लाख कोशिश कर लूँ,
आप मुझे खोज लेती।
पर मुझे खोजना होता अगर आपको,
तब मैं झूठ मूठ रोते हुए बोलता,
"माँ! मुझे चोट लग गई"।
आप कही से भी दौरी चली आती।
और बोलती,
"क्या हुआ,मेरे लाल को"।
माँ! उन दिनों की याद आज भी आती है।
(मुझे आपसे प्यार है,माँ)☺️
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