...

7 views

डर है
पता नहीं क्यों आज ये शाम सुनसान सी लगती है
आज फिर ये रात किसी की दी खैरात सी लगती है
मालूम नही क्यों दिन का इंतजार नहीं है
पता नही क्यों हमे किसी से प्यार नहीं है
मन में हमेशा डर रहता है
उनसे बिछड़ने का गम रहता है
पता नही क्यों दिन निकल जाने पर सबर सा आता है
तुम्हे दो बाते बताने को जी ललचाता है
पर किसी को खबर ना लग जाए इसका भ्रम हमे सताता है
ये दिल सब करना चाहता है पर वक्त आने पे मुकर सा जाता है

© himanshimangla