...

6 views

दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,खुद में गुम हो स्वपन साजिले देख रहा कोई, बंद आँख कर मेरे वजूद की खुशबू सूंघ रहा कोई, ठंडी हवा बन कर मेरी ज़ुल्फो को छू रहा कोई, रेत पे मेरे नाम की लकीरें खींच रहा कोई, हिचकीयां रुक रही नहीं सुबह से ही, लगता हैँ दूर बैठ मुझे ढूंढ रहा कोई
© shweta Singh