तेरी छांव में।
ना कोई बंदिशें हैं ना बेड़ियां हैं पांव में
कितना भी भटक जाऊं
लौट आता हूं फिर से, तेरी ही छांव में..
यूं तो टूट कर बिखर जाता हूं कई दफा
मलहम तुमको देखा है दिल के हर घाव...
कितना भी भटक जाऊं
लौट आता हूं फिर से, तेरी ही छांव में..
यूं तो टूट कर बिखर जाता हूं कई दफा
मलहम तुमको देखा है दिल के हर घाव...