121 views
तेरी छांव में।
ना कोई बंदिशें हैं ना बेड़ियां हैं पांव में
कितना भी भटक जाऊं
लौट आता हूं फिर से, तेरी ही छांव में..
यूं तो टूट कर बिखर जाता हूं कई दफा
मलहम तुमको देखा है दिल के हर घाव में
हार जाता हूं जब भी लहरों से टकराकर
डूबने लगता हूं जब भी जिंदगी से चोट खाकर,
खुद को पाता हूं महफूज तेरी यादों की नाव में
फिर लौट आता हूं अक्सर तेरी ही छांव मे...
खो देता हुं खुद को जब भी
अपनों से मन के टकराव में
लौट आता हूं फिर से तेरी ही छांव में..
© Abhi
कितना भी भटक जाऊं
लौट आता हूं फिर से, तेरी ही छांव में..
यूं तो टूट कर बिखर जाता हूं कई दफा
मलहम तुमको देखा है दिल के हर घाव में
हार जाता हूं जब भी लहरों से टकराकर
डूबने लगता हूं जब भी जिंदगी से चोट खाकर,
खुद को पाता हूं महफूज तेरी यादों की नाव में
फिर लौट आता हूं अक्सर तेरी ही छांव मे...
खो देता हुं खुद को जब भी
अपनों से मन के टकराव में
लौट आता हूं फिर से तेरी ही छांव में..
© Abhi
Related Stories
118 Likes
14
Comments
118 Likes
14
Comments