...

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मेरे साथिया
गीता क़ुरआन बाइबल में
इतने सलीके से न कुछ बताया होगा
मजनूं ने लैला से भी इश्क़ इतना न जताया होगा
तेरे होंठो की कंपकंपी... तेरे पलकों की थिरकन
तेरे होंठो की कंपकंपी...
तेरे पलकों की थिरकन तक गिने है मैंने....
गिनता तो तब भी था...जब कुछ नही थे हम
गिनता तो तब भी था ,जब कुछ भी
.....नही थे हम,दोस्त के सिवा
आज सोचता हूँ ,उतने अधिकार.....
.....कौन ले सकता है,एक दोस्त के सिवा ।
तुम खुल के बताया करती थी,
हर एक को जताया करती थी
की तुम्हें वो मिल गया....की तुम्हें वो मिल गया
जिस अनमोल तोहफ़े की जरूरत थी तुम्हें
पर आज ये सोचता हूँ अक्सर
...खुद से करता हूँ सवाल कई
"क्या सच में तुम्हें वही मिला
जिसे डिजर्व करती थी तुम..?"
कर लिए तुमने समझौते कई खुद के ही दिल को समझाते हुए
"क्या तुम्हारा दिल न पसीजा..??"

"क्या तुम्हारा दिल न पसीजा.....तुम्हारे ही लाडले को रुलाते हुए.... इन बीहड़ों में भटकाते हुए??"