...

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जीवन के स्वाद
वो जीना भी क्या जीना जिसमें,
ना हो माता-पिता का प्यार..
ना हो भाई-बहन का दुलार..
ना हो दादा-दादी लार|

वो जीना भी क्या जीना जिसमें,
ना हो निक्कमे से यार..
ना हो अधूरा सा प्यार..
ना हो दुश्मन चार|

वो जीना भी क्या जीना जिसमें,
ना हो चुनौतियाँ हजार..
ना हो दुख का थोडा मार..
ना हो कडी मेहनत का कारोबार|

वो जीना भी क्या जीना जिसमें,
तीखा, मीठा, खट्टा, कडवा स्वाद ना हो..
ऐसा जीना तो ऐसा है,
जैसे कभी जिया ही ना हो |

--G. Neha #drmr