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मैं अब भरा बैठा हूं,
इन दिनों खुद ही से मैं गमजदा सा बैठा हूं,
यानि मुहब्बत से कुछ मैं अब भरा बैठा हूं,
गर वो पुकारे आवाज ओ गमजदा में और,
आह तक न लूं, इस क़दर हो खफा बैठा हूं,
पल्ले पड़ना नहीं ये एहतिराम-ए-'इश्क़ अब,
मौज ए तबस्सुम से शुतुर-कीना करा बैठा हूं,
मैं निकला गली से उसकी की उसे यकीं आए,
वरना मैं उस मौत को कबका गले लगा बैठा हूं,
और मैं दिल्लगी के दाव में क्या क्या नहीं हारा,
अ साकी मुहब्बत में, सब कुछ मैं गंवा बैठा हूं,
सौदा मयार का हरगिज मुमकिन नहीं कैफियत से,
बहुत नुकसान पहले ही, बे सबब मैं करा बैठा हूं,
और अगर तारूफ चाहती है तो कुछ और करे वो,
यार रकीब तल को मैं हिज्र में आजमा बैठा हूं,
बहुत भटका हूं दर ब दर की सुकूं मिले मुझको,
आना मुमकिन नहीं मैं कब्र में खुद को दबा बैठा हूं,
© #mr_unique😔😔😔👎
यानि मुहब्बत से कुछ मैं अब भरा बैठा हूं,
गर वो पुकारे आवाज ओ गमजदा में और,
आह तक न लूं, इस क़दर हो खफा बैठा हूं,
पल्ले पड़ना नहीं ये एहतिराम-ए-'इश्क़ अब,
मौज ए तबस्सुम से शुतुर-कीना करा बैठा हूं,
मैं निकला गली से उसकी की उसे यकीं आए,
वरना मैं उस मौत को कबका गले लगा बैठा हूं,
और मैं दिल्लगी के दाव में क्या क्या नहीं हारा,
अ साकी मुहब्बत में, सब कुछ मैं गंवा बैठा हूं,
सौदा मयार का हरगिज मुमकिन नहीं कैफियत से,
बहुत नुकसान पहले ही, बे सबब मैं करा बैठा हूं,
और अगर तारूफ चाहती है तो कुछ और करे वो,
यार रकीब तल को मैं हिज्र में आजमा बैठा हूं,
बहुत भटका हूं दर ब दर की सुकूं मिले मुझको,
आना मुमकिन नहीं मैं कब्र में खुद को दबा बैठा हूं,
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