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तुम
पहली दफा तेरे दीदार की सुध आज भी है,
फिर से मिल पाने की बेचैनी आज भी है।
माना कि बहुत होंगे खड़े इंतज़ार में तेरे,
पर बढ़े हाथ के खाली ना आने की दुआ आज भी है।

मांगा मैंने ख़ुदा से तुझे आज भी है,
क्यूंकि परवाह तेरी मुझे आज भी है।
माना कि पूरी नही होती ख्वाहिशें सारी,
पर मन्नत पूरी होने की ख्वाहिश आज भी है।
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