...

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पत्तों की सरसराहट
जैसे होते हैं सिक्के के दो पहलू,
आत्मा के भी होते हैं दो पहलू,
वैसे ही हर जीव को
गुजरना पड़ता है, इन दो दौरों से,
इसे आम भाषा में कहते हैं जीवन और मरण।
जीवन का अटल सत्य,
जिससे प्राणी कितना भी,
पीछा छुड़ाने का प्रयास करें,
पर यह असंभव है।
कितना अजीब है ना!
हर प्राणी, इस सच्चाई से अवगत होते हुए भी,
उलझा रहता है इस माया-मोह में।
जब तक रहता है इस जगत में,
बस रहता है इसी ताक में कि,
जमा कर सकूं, ढेर सारी पूंजी।
चाहे यह पूंजी, किसी भी तरह से,
उसके पास आए।
इसी चाह में, न जाने कितने अनगिनत,
भूल कर बैठता है।
न जाने कितनी...