ग़ज़ल - तारिक़ पे इनाम लगाओ।
तोहमतें तमाम लगाओ
हर दम मेरा नाम लगाओ।
जब भी दिल तुम्हारा टूटे
मुझ पे ही इलज़ाम लगाओ।
अब तो चोरी चुपके छोड़ो
दिल को सर-ए -आम लगाओ।
...
हर दम मेरा नाम लगाओ।
जब भी दिल तुम्हारा टूटे
मुझ पे ही इलज़ाम लगाओ।
अब तो चोरी चुपके छोड़ो
दिल को सर-ए -आम लगाओ।
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