...

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रूठी रूठी ज़िन्दगी
खिजां भी गुजर गई पर आई बहार नहीं,
लूँ के थपेड़े ही मिलें चली ठंडी बयार नहीं।

हर कोई ठगता रहा अपना कह-कहकर के,
ज़िन्दगी के सफ़र में मिला सच्चा यार नहीं।

झूठ, फरेब शामिल हुआ इँसा के क़िरदार में,...