...

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खोई हुई नींद
जिस रात मैं दर्द में जागती रही,
उस रात की मेरे हिस्से की नींद
कहां गई?

जिस पल मैं रोई-गिड़गिड़ाई,
उस पल की मेरी मुस्कान, मेरी खुशियाँ
कहां गई?

जिस दिन मैं टूटी, बिखरी और हार गई,
उस दिन की मेरी जीत
कहां गई?

सुना है कोई है, जो सबके कर्मों का
हिसाब लिखता है,
अगर मिले तो उससे कहना,
मुझे मेरा सुकून, खुशियाँ और जीत
सूद समेत वापस लौटा दें।

© mysterious girl


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