तुम कौन हो
तुम मेरे कौन हो
तुमसे है ताल्लुक कैसा
तुम किसी धुन मे लिपटी हुई तन्हाई तो,
मेरी शौरत हो, मेरी दुआ हो, मेरे रुस्वाई तो,
बात करती हो कभी चुप मे बिखर जाती तो,
क्यों मेरी रूह के गोसो मे सितम ढाती हो,
गुनगुनाती हो तो महसूस होता है मुझे,
जैसे दरिया के शाहिल से सदा आती हो,
पास आता हूँ तो ख्वाबों मे उतर जाती हो,
दूर जाता हूँ ती दामन से लिपट जाती हो,
तुम मेरे ना पास हो, ना दूर हो मेरे दिल से,
अब तो बताओ तुम मेरी कौन तो...
© अmrit...
तुमसे है ताल्लुक कैसा
तुम किसी धुन मे लिपटी हुई तन्हाई तो,
मेरी शौरत हो, मेरी दुआ हो, मेरे रुस्वाई तो,
बात करती हो कभी चुप मे बिखर जाती तो,
क्यों मेरी रूह के गोसो मे सितम ढाती हो,
गुनगुनाती हो तो महसूस होता है मुझे,
जैसे दरिया के शाहिल से सदा आती हो,
पास आता हूँ तो ख्वाबों मे उतर जाती हो,
दूर जाता हूँ ती दामन से लिपट जाती हो,
तुम मेरे ना पास हो, ना दूर हो मेरे दिल से,
अब तो बताओ तुम मेरी कौन तो...
© अmrit...