शाम सा तू ढलता है।
वो दिन की एक शाम है
वो भी ढलती हुई ।
जिंदगी यूंही है
बस धीरे धीरे चलती हुई।
परेशान क्यूं रहता है
अपने इस हालात से तू।
शाम सा तू ढलता है
तब मिलता है रात से तू।
© वरदान
वो भी ढलती हुई ।
जिंदगी यूंही है
बस धीरे धीरे चलती हुई।
परेशान क्यूं रहता है
अपने इस हालात से तू।
शाम सा तू ढलता है
तब मिलता है रात से तू।
© वरदान