...

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मेरे सपनो की उड़ान
काश कि मैं इक चिड़िया होती,
खुले आसमान की रानी होती।
ना होती कोई सीमा, ना बंधन
चारों तरफ़ बस ऊंची उड़ान,
मानो लगता एक ही आंगन।

ना होती बंद कमरे में घुटती सांसे,
ना ही दबी ख्वाहिशों की सिसकियां।
गूंजती बस खुशियों की चहचहाहट,
रंग बिरंगी तितलियाँ बन जाती मेरी सहेलियाँ।

कुचल ना पाता कोई मेरी,
सपनों की उड़ान।
समझ ना...