...

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सात फेरे
दो अजनबी जब एक साथ है आते ,
प्यार के फूल जब दो दिलो में खिल है जाते,
कसमो और वादों के बंधन जब वो है निभाते,
विवाह के सात फेरे है उसे कहे जाते...

विवाह का स्वरूप बदल जाता है,
कहीं प्रेम तो कहीं सामाजिक विवाह का रूप उभर के आता है,
परिवार की खुशी तो कहीं समाज का अपमान,
अपरिवर्तित है बस सात फेरों का मान,
कसमो और वादों के बंधन जब दो अजनबी है निभाते,
विवाह के सात फेरे है उसे कहे जाते....

प्रतिष्ठा ,मान और सम्मान,
एक दूसरे का ना करे कभी अपमान,
हमेशा निभाइये एक दूसरे का साथ,
ज़िन्दगी भर पकड़ कर एक दूसरे का हाथ,
समान रूप से जब दो व्यक्ति वचनों में बंध है जाते,
सम्बंध को अस्तित्व में है लाते,
वचनों का मान करते हुए उसे है निभाते,
विवाह के सात फेरे है उसे कहे जाते.....

मूल्य देकर लोग विवाह है करवाते,
मूल्य वाले सात फेरो का महत्व समझ नही है पाते,
परिणाम स्वरूप सम्बंधो के बीज उनसे सींचे नही है जाते,
मूल्य देकर तोला जा सकता है सिर्फ धन,
नही तोला जा सकता व्यक्तित्व और मन,
जिस दिन नासमझ लोग सात फेरों को समझ के करेंगे उसका मान,
उसी दिन होगा पूरे विश्व में सात फेरों का और विवाह का सम्मान....





© DM मन की बातें