ज़िक्र तुम्हारा
मैं ख़ुद से ही किया करती हूँ
सुबह दोपहर शाम किया करती हूँ
बादल से हवाओं से पत्तों से
शाखों से...
सुबह दोपहर शाम किया करती हूँ
बादल से हवाओं से पत्तों से
शाखों से...