...

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विदाई....


जग ने हमारे ये रीत बनाई
सच कहते बेटी होती पराई
ये घड़ी भी मुद्दतों में आई
किसी की बरसों की मन्नते रंग लाई
बीते कल की यादें समेटे
आने वाले कल की खुशियां मन में लिए
फैली हवाओं...