...

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कुछ तो
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
कुछ तो उसने स्वीकार किया होगा?
ऐसे ही कहाँ जुड़ जाते है दिल से दिल,
नज़रों से उसने ऐतबार तो किया होगा।

अब कहते हो नज़रे छिपाती है वो;
नाम सुनकर मेरा तड़प जाती है वो:
कुछ तो सोचा होगा दीदार करके उसने,
यूं ही नही इतना इंतजार किया होगा।

जवाब ढूढते हो अपने भय के भ्रमजाल में
डरते हो खुद उसमे खो जाने को,
कुछ तो बेचैन रही होगी वो भी तेरे लिए ;
यूं ही नही उसने तुझे स्वीकार किया होगा।









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