क्यों नारी नहीं सुरक्षित है ?
नारी तुम श्रद्धा नहीं रहीं,
स्नेह समर्पण क्रीजों में।
कभी सूटकेस मिलता है
कभी दिखती हो तुम फ्रिजों में।।
तलवार रखो तुम हाथों में,
शैतानी मुंड उतरवा दो।
फांसी की अब मांग नहीं हैं,
आग में जिंदा जलवा दो।।
तुुम दंड विधान बदलवा दो,
यह हल्का रहा गुनाहों...
स्नेह समर्पण क्रीजों में।
कभी सूटकेस मिलता है
कभी दिखती हो तुम फ्रिजों में।।
तलवार रखो तुम हाथों में,
शैतानी मुंड उतरवा दो।
फांसी की अब मांग नहीं हैं,
आग में जिंदा जलवा दो।।
तुुम दंड विधान बदलवा दो,
यह हल्का रहा गुनाहों...