...

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आज वो दौर कहाँ
आज वो दौर कहाँ कल का जो ज़माना था
दिल से दिल का यारों असली वो फसाना था
दिल के जज्बात सभी ख़त में लिखा करते थे
लगाव तन का न था मन से प्यार करते थे

अब तो है प्रीत की ही रीत बन गई उलटी
मन से मन का नहीं बस तन का मिलन होता है
ईसीलिए तो टूट जाते हैं जल्दी रिश्ते
देखकर दौड़ ये "कौशल" मेरा मन रोता है।
© Kaushal