"दोस्ती" "
शक्कर, सी मीठी,
नमकीन सी चट- पटी ।।
कभी काजू सी मुलायम,
तो कभी छुआरे सी जरा सख्त।।
कभी लौंग सी कड़वी, तो कभी इलाइची सी चुलबुली।।
कभी रोटी सी साधारण,, तो कभी पराठे सी लाजवाब।।
कभी अचार सी खूबियां, तो कभी चटनी के नये रंग।।
कभी ,साधारण राजमा-चावल जैसी,
तो कभी बिरयानी के जैसी दिल अजीज।।
कभी एक जान पकौड़े जैसे,
तो कभी झोल-मोल ,जलेबी की तरह।।
कभी हलुवे जैसी, एक -दम पक्की और मीठी ।।
तो कभी चुकुन्दर- करेले ,या नीम की जैसी,
कड़वाहट भरी ,सुई सी चुभती ।।
कभी ,मैंगो- शेक भरी मस्ती ,
तो कभी काढ़े जैसी तल्ख।।
यह दोस्ती है, जनाब ,
जिसके रंग हैं, हजार।
दिल से जुड़े ,वह भी दोस्त,
जो दिमाग से जुड़े, वह भी दोस्त।।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हर रंग ,हर रूप ,
हर पल में ,,, जो रहे संग,,
हर मिठास में,,हर कड़वाहट में।
जो सहे, और निभाये ,,,हर अर्ज ,हर फर्ज।।
वही है , दिल का रिश्ता,
जिसे नाम मिला है, दोस्ती ,
दोस्त बनाना और मिलना आसान है,
पर सही ,जो मिल जाये, तो समझ लो,
जिंदगी बड़ी ही खुश- नसीब,है ।।
© Rishav Bhatt
नमकीन सी चट- पटी ।।
कभी काजू सी मुलायम,
तो कभी छुआरे सी जरा सख्त।।
कभी लौंग सी कड़वी, तो कभी इलाइची सी चुलबुली।।
कभी रोटी सी साधारण,, तो कभी पराठे सी लाजवाब।।
कभी अचार सी खूबियां, तो कभी चटनी के नये रंग।।
कभी ,साधारण राजमा-चावल जैसी,
तो कभी बिरयानी के जैसी दिल अजीज।।
कभी एक जान पकौड़े जैसे,
तो कभी झोल-मोल ,जलेबी की तरह।।
कभी हलुवे जैसी, एक -दम पक्की और मीठी ।।
तो कभी चुकुन्दर- करेले ,या नीम की जैसी,
कड़वाहट भरी ,सुई सी चुभती ।।
कभी ,मैंगो- शेक भरी मस्ती ,
तो कभी काढ़े जैसी तल्ख।।
यह दोस्ती है, जनाब ,
जिसके रंग हैं, हजार।
दिल से जुड़े ,वह भी दोस्त,
जो दिमाग से जुड़े, वह भी दोस्त।।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हर रंग ,हर रूप ,
हर पल में ,,, जो रहे संग,,
हर मिठास में,,हर कड़वाहट में।
जो सहे, और निभाये ,,,हर अर्ज ,हर फर्ज।।
वही है , दिल का रिश्ता,
जिसे नाम मिला है, दोस्ती ,
दोस्त बनाना और मिलना आसान है,
पर सही ,जो मिल जाये, तो समझ लो,
जिंदगी बड़ी ही खुश- नसीब,है ।।
© Rishav Bhatt