...

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जाने कैसे 💔
जाने कैसे तेरी हर रात गुज़र जाती है मेरी तो एहसास के लब्ज़ ढूंढने में ही रह जाती है,
जाने कैसे तेरी शामें निकल जाती है मेरी तो वोही किस्से दोहराने में उलझ कर रह जाती है,
जाने कैसे ये तेरा दिन कट जाता है मेरा तो सामने हंसने और छुपकर तड़पने में रह जाता है,
कभी कभी लगता है तू चेहरा नहीं मेरे लिखने की बस स्याही है,
कभी लगता है तू मेरा इश्क नहीं बस मेरे ख्वाबों की अधूरी सी कहानी है!! बस कहानी है!!