बुझ गई
बुझी बुझी दिया हो चली हूं
जाने किधर चली हूं
कुछ पुरे हुए हैं
तो कुछ अधूरे से है
मेरे ख़्वाब
यक़ीन कर ख़ुद पे
कि कर वह अपना
वादा पूरा कर जाऊंगी
जो कि हो
ख़ुद से ख़ुद तक मैं
अब शाश्वत कुछ नहीं मुझमें
बस जो ऋण हैं मेरे पर
वह चुका जाना है
समय कम है मेरे पास
खेल रहा हैं
आंख में चोली ......
...
जाने किधर चली हूं
कुछ पुरे हुए हैं
तो कुछ अधूरे से है
मेरे ख़्वाब
यक़ीन कर ख़ुद पे
कि कर वह अपना
वादा पूरा कर जाऊंगी
जो कि हो
ख़ुद से ख़ुद तक मैं
अब शाश्वत कुछ नहीं मुझमें
बस जो ऋण हैं मेरे पर
वह चुका जाना है
समय कम है मेरे पास
खेल रहा हैं
आंख में चोली ......
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