" जिंदगी "
ज़िंदगी...
कैसे कैसे रंग दिखाती हो ,
जिस को माना था सब कुछ,
उस से ही दिल तुड़वाती हो।
ज़िंदगी...
कैसे कैसे रंग दिखाती हो ,
जो ना सुना था कभी,
किसी अपने से ही सुनवाती हो।
...
कैसे कैसे रंग दिखाती हो ,
जिस को माना था सब कुछ,
उस से ही दिल तुड़वाती हो।
ज़िंदगी...
कैसे कैसे रंग दिखाती हो ,
जो ना सुना था कभी,
किसी अपने से ही सुनवाती हो।
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