...

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एक तेरी रजा...
आ जाती है हंसी लबों पर,
हर दुख में, हर पीड़ा में...!
तेरा ही सत्कार छिपा रब,
जीवन की हर क्रीड़ा में...!

×××××

विचलित मन की व्यथा है तुमसे,
हंसी खुशी की कथा है तुमसे...!
तुम्हीं वियोग, तुम्हीं संयोग हो,
जीवन ये सर्वथा है तुमसे...!!

×××××

छद्म तुम्हीं हो, तुम अपार हो,
कर्म तुम्हीं से, तुम संसार हो..!
हे प्रभु तुम सा रस नहीं कोई,
जीवन अमृत की धार तुम्हीं हो..!

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