आलोक
मैं डूबा था
इस अंधकार में
स्वप्निल संसार में
मैं घिरा था
अजीब सवालों से
मेरे पास जवाब तो थे
लेकिन आवाज ना थी |
मैं क्या करता
कोशिश करके, थक चुका था
मैं जीते...
इस अंधकार में
स्वप्निल संसार में
मैं घिरा था
अजीब सवालों से
मेरे पास जवाब तो थे
लेकिन आवाज ना थी |
मैं क्या करता
कोशिश करके, थक चुका था
मैं जीते...