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हम कुच ना केह सके उनको...!
हमने जीसे चाहा वो चाहे किसी और को...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
हर शाम गुजारी उनके आंगन में...,
बाते कई हुई आमने सामने...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
चाहत बाकी रही अब भी दिल में...,
अब मिलके उनको जमाना हूवा....,
जिनके हर खयाल से प्यार था हमे...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
मुलकात तो रोज़ होती थीं...,
हर हालचाल बतानेको...,
एक पल काफी था मोहोब्बत बया करनेको...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...!
© #Suvi..
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
हर शाम गुजारी उनके आंगन में...,
बाते कई हुई आमने सामने...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
चाहत बाकी रही अब भी दिल में...,
अब मिलके उनको जमाना हूवा....,
जिनके हर खयाल से प्यार था हमे...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...,
मुलकात तो रोज़ होती थीं...,
हर हालचाल बतानेको...,
एक पल काफी था मोहोब्बत बया करनेको...,
इतने करीब रेहके भी हम कुच ना केह सके उनको...!
© #Suvi..
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